भारतीय क्रिकेट टीम के सामने एशिया कप 2025 से पहले सबसे बड़ा सवाल विकेटकीपिंग को लेकर खड़ा हो गया है। बल्लेबाजी और गेंदबाजी विभाग में टीम इंडिया के पास भरपूर विकल्प हैं, लेकिन विकेटकीपर की भूमिका को लेकर चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट के बीच असमंजस साफ झलक रहा है।
इस बार खास बात यह है कि टीम इंडिया के पास चार विकल्प मौजूद हैं—संजू सैमसन, इशान किशन, जितेश शर्मा और ध्रुव जुरेल। हालांकि विकल्प ज्यादा होना टीम के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन जब सभी खिलाड़ी अलग-अलग फॉर्म और क्षमता के साथ मैदान में हों, तब सही चुनाव करना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि एशिया कप से पहले यह मुद्दा चर्चा में बना हुआ है।
संजू सैमसन – अनुभव और टैलेंट के बावजूद अस्थिरता
संजू सैमसन पिछले एक दशक से भारतीय क्रिकेट का हिस्सा रहे हैं। आईपीएल में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है और उन्होंने टीम इंडिया के लिए भी कई महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत है उनका स्ट्राइक रेट और पावर हिटिंग।
हालांकि, समस्या यह है कि वे लंबे समय तक लगातार प्रदर्शन नहीं कर पाए। एक-दो मैचों में बड़ी पारी खेलने के बाद वे कई मैचों तक फ्लॉप हो जाते हैं। यही कारण है कि भले ही उनके पास अनुभव है, लेकिन चयनकर्ता उन पर पूरी तरह भरोसा करने से झिझकते हैं।
इशान किशन – पावरप्ले का धाकड़ खिलाड़ी
इशान किशन को टीम इंडिया का आक्रामक ओपनर माना जाता है। जब भी उन्हें मौका मिला, उन्होंने तेज शुरुआत दिलाई। उनकी बैटिंग शैली पूरी तरह टी20 क्रिकेट के अनुकूल है, और वनडे फॉर्मेट में भी वे तेज़ी से रन बनाने में सक्षम हैं।
लेकिन हाल के महीनों में उनकी फिटनेस और मानसिक मजबूती पर सवाल उठे हैं। कुछ विवादों और बीसीसीआई के साथ मतभेद ने उनके करियर पर असर डाला है। फिर भी, उनकी क्षमता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता क्योंकि वे शुरुआती ओवरों में विपक्षी गेंदबाजों पर दबाव बनाने में माहिर हैं।
जितेश शर्मा – फिनिशर की भूमिका में फिट
जितेश शर्मा को टी20 क्रिकेट का स्पेशलिस्ट माना जाता है। उनकी बल्लेबाजी का अंदाज़ महेंद्र सिंह धोनी जैसा है—खासकर डेथ ओवरों में। वे मैच को फिनिश करने में माहिर हैं और बड़ी-बड़ी हिट लगाने की क्षमता रखते हैं।
हालांकि, सवाल यह है कि क्या वे वनडे फॉर्मेट में भी उतने ही प्रभावी साबित हो पाएंगे। 50 ओवर के गेम में विकेटकीपर-बल्लेबाज को सिर्फ छक्का लगाने वाला नहीं, बल्कि लंबी पारी खेलने वाला खिलाड़ी भी होना चाहिए। यदि उन्हें मौका दिया जाता है, तो यह भारत के लिए जोखिम और मौका दोनों होगा।
ध्रुव जुरेल – भविष्य की उम्मीद
ध्रुव जुरेल भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारे हैं। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं और फैंस को प्रभावित किया है। उनकी बल्लेबाजी में संयम है, और विकेटकीपिंग में भी वे भरोसेमंद नज़र आते हैं।
हालांकि वनडे क्रिकेट में उन्होंने ज्यादा अवसर नहीं पाए हैं, लेकिन टीम मैनेजमेंट उन्हें “लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट” के रूप में देख सकता है। यदि उन्हें एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में मौका मिलता है, तो यह उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है।
टीम मैनेजमेंट की दुविधा
एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहेंगे। उनका पहला उद्देश्य होगा कि टीम का कॉम्बिनेशन मजबूत रहे और खिलाड़ी दबाव झेलने में सक्षम हो।
अगर अनुभव को तवज्जो दी जाती है, तो संजू सैमसन सबसे आगे होंगे। अगर आक्रामक बल्लेबाजी चाहिए तो इशान किशन को प्राथमिकता मिल सकती है। अगर डेथ ओवरों में फिनिशर की तलाश है तो जितेश शर्मा सही विकल्प होंगे, और अगर भविष्य की सोच रखनी है तो ध्रुव जुरेल पर दांव खेला जा सकता है।
वर्ल्ड कप की तैयारी से जुड़ा सवाल
एशिया कप सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि वर्ल्ड कप 2025 की तैयारियों का भी हिस्सा है। जिस खिलाड़ी को यहां चुना जाएगा, उसकी दावेदारी वर्ल्ड कप में भी मजबूत हो जाएगी। यही वजह है कि चयनकर्ताओं के सामने यह और भी बड़ा निर्णय बन गया है।
निष्कर्ष
भारतीय क्रिकेट टीम के पास विकेटकीपरों की कमी नहीं है, बल्कि ज्यादा विकल्पों की समस्या है। चारों खिलाड़ियों में अपनी-अपनी खूबियाँ और कमजोरियाँ हैं।
संजू सैमसन – अनुभव और स्ट्राइक रेट
इशान किशन – पावरप्ले में आक्रामकता
जितेश शर्मा – फिनिशर का हुनर
ध्रुव जुरेल – भविष्य की उम्मीद
अब देखना यह होगा कि टीम इंडिया एशिया कप 2025 के लिए किस पर भरोसा जताती है। यह फैसला सिर्फ एशिया कप ही नहीं बल्कि वर्ल्ड कप की राह भी तय करेगा।