गुजरात विश्वविद्यालय में अगस्त 2025 की हलचल: विवाद, परीक्षाएं और नए फैसले

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कैंपस में हलचल

करोड़ों की जमीन पर विवाद

  • 91% उपस्थिति वाली पीएचडी परीक्षा

  • तिरंगा यात्रा पर 5 मार्क्स बोनस
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  • गुजरात विश्वविद्यालय में अगस्त 2025 की हलचल: जमीन विवाद से पीएचडी परीक्षा तक

गुजरात विश्वविद्यालय (GU) इन दिनों लगातार खबरों में है। अगस्त 2025 का महीना यहां कई बड़ी घटनाओं और विवादों से भरा रहा। एक तरफ यहां पीएचडी प्रवेश परीक्षा में रिकॉर्ड तोड़ उपस्थिति रही, वहीं दूसरी तरफ जमीन लीज़ को लेकर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय ने छात्रों के लिए एक अनोखी पहल की—तिरंगा यात्रा में शामिल होने पर अतिरिक्त अंक देने का फैसला। इन घटनाओं ने न सिर्फ कैंपस, बल्कि पूरे राज्य में चर्चा पैदा कर दी है।

सबसे पहले बात करते हैं जमीन विवाद की। गुजरात कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने करोड़ों रुपये की कीमत वाली जमीन बिना सही पारदर्शी प्रक्रिया के एक निजी संस्था को लीज़ पर दे दी। कांग्रेस का कहना है कि यह फैसला जल्दबाज़ी में लिया गया और इसका फायदा कुछ खास लोगों को पहुंचाने के लिए किया गया। उनका आरोप है कि जब विश्वविद्यालय के कई विभागों में सुविधाओं की कमी है, तब इतनी कीमती जमीन का इस्तेमाल छात्रों के हित में होना चाहिए था। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि सभी प्रक्रियाएं नियमों के तहत हुई हैं और किसी को भी निजी फायदा नहीं दिया गया है।

इसके अलावा एक और मामला सामने आया जिसमें आरोप लगा कि विश्वविद्यालय का एक खेल परिसर एक निजी क्लब को सौंप दिया गया है। कांग्रेस ने कहा कि क्लब को चलाने वाले लोग विश्वविद्यालय से जुड़े हैं और इस सौदे में हितों का टकराव है। लेकिन कुलपति नीर्जा गुप्ता ने साफ किया कि किसी भी तरह का संचालन या नियंत्रण निजी संस्था को नहीं दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना के लिए तीन बार टेंडर निकाले गए, लेकिन अंत में फैसले विश्वविद्यालय के ही हित में लिए गए। फिर भी, इस मुद्दे पर कैंपस में बहस जारी है और “Save Gujarat University” नाम से एक अभियान भी शुरू हो गया है।

इन विवादों के बीच, विश्वविद्यालय ने एक अकादमिक उपलब्धि दर्ज की। 12 अगस्त को हुई पीएचडी प्रवेश परीक्षा में 1,443 स्वीकृत उम्मीदवारों में से 1,317 ने हिस्सा लिया, जो करीब 91% उपस्थिति दर्शाता है। यह परीक्षा एक साथ 700 विषयों के लिए ली गई थी। खास बात यह रही कि प्रश्नपत्र अभ्यर्थी घर नहीं ले जा सके और उन्हें उसी पर उत्तर लिखने पड़े। अधिकतर विषयों में प्रश्न गुजराती में थे, जबकि मेडिकल विषयों में अंग्रेजी का इस्तेमाल हुआ। हालांकि, पत्रकारिता, प्राकृत और उर्दू जैसे कुछ विषयों में गाइड न होने के कारण परीक्षा आयोजित नहीं हो पाई।

विश्वविद्यालय ने इस बार छात्रों में देशभक्ति और सामाजिक जुड़ाव बढ़ाने के लिए एक नई पहल की है। उन्होंने घोषणा की कि जो छात्र 13 अगस्त को आयोजित होने वाली 6 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा में शामिल होंगे, उन्हें उनके पाठ्यक्रम में 5 अतिरिक्त अंक मिलेंगे। विश्वविद्यालय का मानना है कि इससे छात्रों में राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक समझ बढ़ेगी। इस फैसले का छात्रों में मिश्रित प्रतिक्रिया रही—कुछ इसे प्रेरणादायक मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि यह अंकों के लिए देशभक्ति को जोड़ने जैसा है।

हालांकि, इन आयोजनों और परीक्षाओं के चलते कैंपस में सामान्य गतिविधियां प्रभावित हुईं। दीक्षांत समारोह और पीएचडी प्रवेश परीक्षा के कारण पूरे परिसर को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया। इस दौरान प्रशासनिक कार्यालय, अकादमिक विभाग और दस्तावेज़ संबंधित सेवाएं भी बंद रहीं, जिससे दूर-दराज से आए छात्रों को परेशानी हुई। विश्वविद्यालय का कहना है कि यह बंदी सुरक्षा और सुचारू आयोजन के लिए जरूरी थी।

कुल मिलाकर, अगस्त 2025 गुजरात विश्वविद्यालय के लिए घटनाओं से भरा महीना रहा। जमीन विवाद और निजी क्लब को लेकर उठे सवालों ने पारदर्शिता पर चर्चा छेड़ दी है। वहीं, पीएचडी परीक्षा की सफलता और तिरंगा यात्रा जैसी पहल ने एक सकारात्मक माहौल भी बनाया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय इन विवादों को कैसे सुलझाता है और अपने शैक्षणिक तथा सामाजिक मिशन को कैसे आगे बढ़ाता है।

गुजरात विश्वविद्यालय

 

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