उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, जहां चारधाम यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह राज्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बादल फटना और अत्यधिक बारिश के लिए भी संवेदनशील है। हर साल मानसून के दौरान यहां यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। 2025 का मानसून भी कुछ ऐसा ही साबित हो रहा है, खासकर बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर।
बद्रीनाथ हाईवे पर भूस्खलन – क्या हुआ?
हाल ही में हुई लगातार तेज़ बारिश के चलते चमोली जिले के जोशीमठ से बद्रीनाथ धाम तक का राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) कई स्थानों पर भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हो गया। बारिश के कारण पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर और मलबा सड़क पर गिरने लगे, जिससे पूरी सड़क बाधित हो गई।
इस मार्ग पर यात्रा कर रहे श्रद्धालु और पर्यटक जगह-जगह फंस गए। प्रशासन ने समय रहते यात्रा पर रोक लगाकर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की, जिससे किसी बड़ी जनहानि से बचा जा सका।
पर्यटन और तीर्थयात्रा पर प्रभाव
बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चारधामों में से एक है। यहाँ हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन मार्ग के बंद हो जाने से:
कई यात्री रास्ते में फंस गए।
होटल और धर्मशालाओं में भीड़ बढ़ गई।
स्थानीय व्यापारी और पर्यटन उद्योग पर आर्थिक असर पड़ा।
मौसम साफ होने तक यात्रा पर रोक लगाई गई।
प्रशासन और BRO का राहत कार्य
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमों ने मलबा हटाने और सड़क को साफ करने का काम शुरू कर दिया है। मशीनों की मदद से चट्टानों और मिट्टी को हटाया जा रहा है। प्रशासन की तरफ से लगातार निगरानी की जा रही है और स्थिति को काबू में लाने की पूरी कोशिश हो रही है।
प्रशासन की अपील और यात्रियों के लिए निर्देश
चमोली जिले के जिलाधिकारी ने यात्रियों से अपील की है कि वे मौसम सामान्य होने तक यात्रा न करें। उन्होंने कहा:
“हमारी प्राथमिकता लोगों की जान की सुरक्षा है। जब तक मार्ग पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो जाता, यात्रा न करें।“
इसके साथ ही पर्यटन विभाग ने सभी होटलों और धर्मशालाओं को यात्रियों को निशुल्क या रियायती दरों पर आश्रय देने के निर्देश दिए हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में अगले 48 से 72 घंटे तक भारी बारिश की संभावना जताई है। इसके चलते और भी भूस्खलन की घटनाएं हो सकती हैं। इसको देखते हुए:
रेड अलर्ट जारी किया गया है।
लोगों को नदियों और पहाड़ी इलाकों से दूर रहने की सलाह दी गई है।
विशेष रूप से पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली में सतर्कता बरतने को कहा गया है।
यात्रा कब फिर से शुरू होगी?
फिलहाल, मौसम के साफ होने और मलबा हटने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। यदि अगले 2-3 दिन मौसम साफ रहा और हाईवे बहाल कर दिया गया, तो यात्रा को फिर से शुरू किया जा सकता है। लेकिन यह निर्णय पूरी तरह मौसम और सुरक्षा रिपोर्ट पर निर्भर करेगा।
महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर
सेवा | हेल्पलाइन नंबर |
---|---|
चमोली आपदा नियंत्रण कक्ष | 1077 |
SDRF | 112 |
उत्तराखंड टूरिज्म हेल्पलाइन | 1364 |
पुलिस हेल्पलाइन | 100 |
ताज़ा तस्वीरें और वीडियो (वर्णनात्मक)
पहाड़ों से गिरते बड़े-बड़े पत्थर।
सड़क पर फंसे वाहनों की लंबी कतार।
BRO की मशीनें सड़क से मलबा हटाते हुए।
यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाते सुरक्षा बल।
पर्यटकों के लिए सुझाव
यदि आप बद्रीनाथ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो कृपया:
मौसम की रिपोर्ट जरूर जांचें।
आधिकारिक पोर्टल से मार्ग की स्थिति की जानकारी लें।
किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें।
प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
प्रकृति से सतर्क रहें, श्रद्धा बनी रहे
प्रकृति का मिजाज कब बदल जाए, कहना मुश्किल है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून के दौरान हर यात्रा एक चुनौती बन जाती है। उत्तराखंड सरकार और आपदा प्रबंधन टीमें पूरी तरह से सजग हैं, लेकिन यात्रियों को भी चाहिए कि वे संयम बरतें और प्रकृति की चेतावनियों को गंभीरता से लें।
बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थलों तक पहुंचने का मार्ग कुछ समय के लिए भले ही रुक गया हो, लेकिन श्रद्धा और भक्ति का मार्ग कभी नहीं रुकता।