स्थान और तकनीकी विवरण
तिथि और समय: 8 अगस्त 2025, सुबह 10:07:02 IST
तीव्रता: 3.9 ( रिक्टर स्केल पर)
गहराई: लगभग 10 किलोमीटर नीचे
स्थान: प्रतापगढ़, राजस्थान (24.09 N, 74.88 E)
घटना का प्रभाव
झटके राजस्थान के प्रतापगढ़ और उसके पड़ोसी मध्य प्रदेश के मांडसौर में महसूस किए गए।
मांडसौर के पिपलीयामंडी, रेवस देवड़ा, अमरपुरा, महलगढ़ में भी हल्के झटके महसूस होने की सूचना मिली; किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की जानकारी नहीं है
प्रशासन और जनता की प्रतिक्रिया
जिला प्रशासन सतर्क है और अफवाहों से बचने तथा केवल आधिकारिक सूचना पर भरोसा करने की सलाह दे रहा है
राजस्थान में भूकंप के झटके: प्रतापगढ़ में फिर हिली धरती, लोगों में दहशत
7 अगस्त 2025 की सुबह राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में एक बार फिर धरती हिल गई। सुबह करीब 10:07 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.9 मापी गई और इसकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र प्रतापगढ़ के ग्रामीण इलाके में था। तेज़ झटकों के साथ धमाके जैसी आवाज सुनाई दी, जिससे लोग घरों, दुकानों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
प्रतापगढ़ में यह झटके पिछले 15 दिनों में तीसरी बार महसूस किए गए हैं, जिससे लोगों के मन में डर और चिंता बढ़ गई है। इससे पहले भी जुलाई के आखिरी सप्ताह और अगस्त के पहले सप्ताह में हल्के भूकंप आए थे। लगातार आ रही इन घटनाओं के कारण कई गाँवों के लोग रात में घरों के बाहर सोने को मजबूर हैं।
भूकंप के दौरान कई जगह लोग वीडियो बनाते नजर आए, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में दुकानों के शटर हिलते, दीवारों में हल्की दरारें और लोग बाहर भागते हुए दिख रहे हैं। हालांकि, अब तक किसी तरह के बड़े जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
स्थानीय प्रशासन ने त्वरित रूप से राहत और बचाव टीमों को अलर्ट मोड पर रखा है। जिला कलेक्टर ने कहा कि नागरिकों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना ज़रूरी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी तरह की अफवाहों पर विश्वास न करें और केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें।
इस घटना का असर पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश तक भी महसूस हुआ। मंडसौर जिले के कई कस्बों जैसे पिपलीयामंडी, रेवड़ देवड़ा, अमरपुरा और महलगढ़ में भी हल्के झटके महसूस किए गए। वहां भी लोग डर के मारे घरों से बाहर निकल आए। मंडसौर में भी भूकंप की तीव्रता 3.9 मापी गई।
विशेषज्ञों का कहना है कि 3 से 4 तीव्रता के भूकंप सामान्यत: हल्के माने जाते हैं और इनमें बड़े पैमाने पर नुकसान की संभावना कम होती है, लेकिन बार-बार आने वाले झटके इस बात का संकेत हो सकते हैं कि इलाके में भूगर्भीय हलचल बढ़ रही है। इसलिए लोगों को सुरक्षा के बुनियादी नियम अपनाने चाहिए, जैसे — भारी सामान ऊँचाई पर न रखें, बिजली के स्विच और गैस वाल्व का स्थान पहले से पहचान कर रखें, और खुले मैदान में जाने का रास्ता तय कर लें।
पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान के दक्षिणी हिस्सों में हल्के भूकंप की घटनाएं बढ़ी हैं। भूकंप विशेषज्ञ मानते हैं कि यह क्षेत्र मध्य भारत के भूकंपीय ज़ोन-2 में आता है, जहां हल्के झटकों की संभावना बनी रहती है। हालांकि, बार-बार आने वाले झटकों के पीछे के असली कारणों का पता लगाने के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण ज़रूरी है।
फिलहाल प्रतापगढ़ और आसपास के इलाकों में प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी है। राहत टीमों को तैयार रखा गया है और स्कूल-कॉलेजों में बच्चों को भूकंप सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में माइक से घोषणाएं कर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
सौभाग्य से इस बार भी कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन प्रतापगढ़ के लोग अब पहले से ज़्यादा चौकन्ने हो गए हैं। लगातार तीसरी बार धरती हिलने के बाद यहां के लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है — आखिर कब थमेगा यह सिलसिला?