वृंदावन, 11 अगस्त 2025 —
वृंदावन के पवित्र धाम में आज सुबह से ही भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। अवसर था श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के विशेष सत्संग और प्रवचन का। सूरज की पहली किरण के साथ ही ठाकुरजी के आंगन में भक्ति-भाव से भरे लोग जमा होने लगे, और जैसे-जैसे समय बीतता गया, पूरा परिसर राधा-कृष्ण के भजनों से गूंज उठा।
भक्ति से बदल सकता है भाग्य
महाराज जी ने अपने प्रवचन में सबसे पहले भाग्य और कर्म के विषय पर चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “भाग्य में लिखा हुआ भी सत्कर्म, भक्ति और सच्ची निष्ठा से बदला जा सकता है”। उनके अनुसार, भाग्य केवल बीते हुए कर्मों का फल है, लेकिन वर्तमान के अच्छे कर्म और सच्ची भक्ति से हम भविष्य को बदल सकते हैं।
उन्होंने एक सुंदर उदाहरण देते हुए कहा —
“जैसे अंधेरे कमरे में एक छोटा सा दीपक भी प्रकाश फैला देता है, वैसे ही जीवन में सत्कर्म करने से नकारात्मकता का अंधकार दूर हो जाता है।”
भक्तों को दी यह सलाह
महाराज जी ने कहा कि लोग अक्सर भाग्य को दोष देते हैं, लेकिन अपने कर्मों को सुधारने की कोशिश नहीं करते।
प्रतिदिन एक घंटा भजन-कीर्तन, ध्यान या सेवा में लगाएं।
दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से व्यवहार करें।
कठिन समय में भी ईश्वर पर भरोसा रखें।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति ईश्वर की भक्ति में दृढ़ रहता है, उसके जीवन में आने वाली बाधाएं भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।
लाइव प्रसारण से जुड़े देश-विदेश के भक्त
आज के प्रवचन का सीधा प्रसारण यूट्यूब और फेसबुक पर किया गया, जिससे देश-विदेश में बसे भक्त भी जुड़ सके। ऑनलाइन दर्शकों ने कमेंट्स में महाराज जी की वाणी को “जीवन बदलने वाली सीख” बताया। कई लोगों ने लिखा कि उन्होंने प्रवचन सुनने के बाद अपने जीवन में भक्ति का समय बढ़ाने का निर्णय लिया है।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
बीते दिन महाराज जी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह कुछ सत्कर्म और भक्ति से इंसान अपना लिखा हुआ भाग्य भी बदल सकता है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लाखों लोग इस वीडियो को देख चुके हैं।
भक्ति में अनुशासन और निरंतरता का महत्व
प्रवचन के दौरान महाराज जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज के समय में भक्ति में निरंतरता की कमी है। लोग कभी-कभी भक्ति करते हैं, लेकिन नियमितता नहीं रखते। उन्होंने कहा —
“भक्ति एक साधना है, जिसे रोज़ निभाना पड़ता है। जैसे सूरज हर दिन उगता है, वैसे ही भक्ति का दीपक भी हर दिन जलना चाहिए।”
भक्ति-गीतों की मधुर प्रस्तुति
प्रवचन के बीच-बीच में महाराज जी ने स्वयं भक्ति-गीत गाए। ‘राधे-राधे बोलना पड़ेगा’ और ‘श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम’ जैसे गीतों ने पूरे वातावरण को भक्ति-रस से भर दिया। भक्त झूम उठे, कई लोग तो भाव-विभोर होकर रोने लगे।
भक्तों के अनुभव
सत्संग में मौजूद कई भक्तों ने बताया कि महाराज जी की वाणी सुनकर उन्हें जीवन की दिशा बदलने की प्रेरणा मिली। मथुरा से आए एक भक्त ने कहा —
“मैंने नौकरी में आने वाली परेशानियों को भाग्य का खेल मान लिया था, लेकिन आज के प्रवचन ने मुझे समझाया कि कर्म बदलकर भाग्य बदला जा सकता है।”
भक्ति का वास्तविक अर्थ
महाराज जी ने बताया कि भक्ति केवल मंदिर जाने या पूजा करने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक जीवन-शैली है जिसमें सत्य, प्रेम, सेवा और त्याग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति दूसरों के दुःख को समझकर मदद करता है, वही सच्चा भक्त है।
आध्यात्मिक संदेश
अपने प्रवचन के अंत में महाराज जी ने कहा —
“जीवन का हर पल ईश्वर की देन है। इसे बर्बाद मत करो। भक्ति में लगाओ, सेवा में लगाओ, और सत्कर्म में लगाओ। जो व्यक्ति सच्चे मन से भक्ति करता है, उसके भाग्य के पन्ने भी बदल जाते हैं।
आज का प्रवचन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली एक प्रेरणादायक घटना थी। प्रेमानंद जी महाराज ने यह स्पष्ट कर दिया कि भाग्य और कर्म का रिश्ता बहुत गहरा है, लेकिन इंसान के हाथ में अपने कर्मों को बदलने की पूरी ताकत है।