प्रस्तावना
भारत में आयकर कानून देश की आर्थिक रीढ़ माना जाता है। 1961 से लागू Income Tax Act ने छह दशकों तक कर वसूली, रिटर्न फाइलिंग, छूट, कटौती और कर विवादों की पूरी व्यवस्था संभाली। लेकिन समय के साथ यह कानून इतना जटिल हो गया कि इसमें हज़ारों संशोधन, लंबी कानूनी भाषा और अनगिनत धाराएँ जुड़ गईं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इसे पूरी तरह बदलने का फैसला लिया और Income-tax (No. 2) Bill, 2025 पेश किया।
11 अगस्त 2025 को यह बिल लोकसभा से पास हो गया और अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतज़ार है। इसके लागू होने की संभावित तारीख 1 अप्रैल 2026 मानी जा रही है।
2. क्यों बदला जा रहा है पुराना कानून?
पुराना 1961 का कानून
47 अध्याय और 819 धाराएँ
5 लाख से ज़्यादा शब्द
4,000 से अधिक संशोधन
कठिन कानूनी भाषा और अलग-अलग व्याख्याएं
इन वजहों से आम करदाता से लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट तक को कठिनाई होती थी। कर विवाद बढ़ते जा रहे थे और सरकार के राजस्व पर असर पड़ रहा था।
नए कानून का उद्देश्य:
भाषा और संरचना को सरल बनाना
अध्याय और धाराओं की संख्या घटाना
विवाद और भ्रम को कम करना
डिजिटल और आधुनिक टैक्स सिस्टम के साथ तालमेल बिठाना
3. SIMPLE सिद्धांत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए बिल को SIMPLE सिद्धांतों पर आधारित बताया:
S – Streamlined (सरलीकृत संरचना)
I – Integrated (एकीकृत प्रावधान)
M – Minimized litigation (कम से कम विवाद)
P – Practical (व्यावहारिक प्रक्रिया)
L – Learn and adapt (सीखने और बदलाव के लिए तैयार)
E – Efficient reforms (प्रभावी सुधार)
4. नए बिल की प्रमुख विशेषताएं
(A) संरचना में बदलाव
अध्याय: 47 → 23
धाराएँ: 819 → 536
शब्द: लगभग 50% कम
नई “Tax Year” प्रणाली — अब “Previous Year” और “Assessment Year” का भ्रम खत्म।
(B) कर छूट और लाभ
पेंशन पर राहत
अब सभी पेंशनधारकों को Commuted Pension पर पूरा कर-छूट लाभ मिलेगा, चाहे वे सरकारी हों या निजी क्षेत्र से।
NPS और LIC Pension Fund जैसी संस्थाओं से मिलने वाली एकमुश्त राशि पर टैक्स नहीं लगेगा।
रिटर्न और रिफंड में सुधार
देर से रिटर्न भरने पर भी रिफंड का हक बना रहेगा।
छोटे करदाताओं के लिए विलंब शुल्क में राहत।
TDS में सुधार
Nil-TDS प्रमाणपत्र पहले से उपलब्ध होंगे।
TDS की देरी पर भारी पेनाल्टी घटाई गई।
LLP और कंपनियों को राहत
LLP पर Alternate Minimum Tax लागू करने की योजना हटाई गई।
इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर पुराने जैसा कटौती प्रावधान वापस।
चैरिटेबल ट्रस्ट नियम
धार्मिक ट्रस्टों को अनाम दान पर छूट जारी रहेगी।
पूंजीगत लाभ को पुनः निवेश करने और अगले वर्ष खर्च करने पर छूट फिर से लागू।
5. विवादास्पद पहलू
विपक्ष का वॉकआउट: संसद में विपक्ष ने बहस से दूरी बनाई, जिसके चलते बिल बिना चर्चा पास हुआ।
वित्त मंत्री ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए “दुखद” बताया।
कुछ कर विशेषज्ञों का मानना है कि तेजी से बदलाव लागू करने पर छोटे करदाताओं को नई प्रक्रिया समझने में समय लगेगा।
6. आम करदाता पर असर
सकारात्मक प्रभाव:
भाषा और प्रावधान आसान होंगे, जिससे खुद रिटर्न भरना आसान होगा।
पेंशनधारकों और रिटायरमेंट प्लान करने वालों को बड़ी राहत।
TDS में सुधार से कैश फ्लो बेहतर होगा।
संभावित चुनौतियां:
नए कानून को समझने के लिए ट्रांजिशन पीरियड जरूरी।
पुराने और नए प्रावधानों की तुलना करके सटीक नियम लागू करना होगा।
7. पुराना बनाम नया: तुलना तालिका
बिंदु | पुराना कानून (1961) | नया बिल (2025) |
---|---|---|
अध्याय | 47 | 23 |
धाराएँ | 819 | 536 |
शब्द | ~5 लाख | ~2.5 लाख |
वर्ष प्रणाली | Previous/Assessment Year | Tax Year |
पेंशन छूट | सीमित | सभी के लिए पूर्ण |
TDS नियम | जटिल | सरल और अग्रिम प्रमाणपत्र |
विवाद | अधिक | कम करने का लक्ष्य |
8. लागू होने की प्रक्रिया
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद बिल Income-tax Act, 2025 के रूप में कानून बनेगा।
1 अप्रैल 2026 से नया कानून लागू होगा।
2026-27 वित्त वर्ष से सभी आयकर रिटर्न और आकलन नए प्रावधानों के तहत होंगे।
9. निष्कर्ष
नया इनकम टैक्स बिल 2025 भारतीय कर प्रणाली में सबसे बड़े बदलावों में से एक है। यह न सिर्फ कानून को आधुनिक बनाने की कोशिश है, बल्कि इसे आम नागरिक के लिए समझने और पालन करने लायक बनाने का प्रयास भी है। अगर यह सही तरीके से लागू होता है तो आने वाले वर्षों में टैक्स विवाद घटेंगे, अनुपालन आसान होगा और करदाताओं का भरोसा बढ़ेगा।