जन्माष्टमी 2025: घर पर भगवान कृष्ण की पूजा और व्रत विधि की पूरी चेकलिस्ट

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जन्माष्टमी 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

तिथि:

  • पारंपरिक (वैदिक) हिसाब से, जन्माष्टमी एक तिथि नहीं, बल्कि अष्टमी तिथि के कृष्ण पक्ष की शुरुआत और समाप्ति पर आधारित होती है।

  • इस वर्ष अष्टमी तिथि की गणना के अनुसार:

    • अष्टमी तिथि आरंभ: 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे

    • अष्टमी तिथि समाप्ति: 16 अगस्त 2025, शाम 9:34 बजे

मुख्य दिन:

  • ज्यादातर स्रोतों के अनुसार, 15 और 16 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी, लेकिन मुख्य त्योहार 16 अगस्त 2025, शनिवार को होगा।

निशिता पूजा (मध्यरात्रि पूजा):

  • निशिता पूजा (मध्यान्ह मुहूर्त) की अवधि:

    • 12:04 AM से 12:47 AM (16 अगस्त को मध्यरात्रि के आसपास)
      अन्य विवरण:

    • मध्यरात्रि का क्षण लगभग 12:25 AM (अक्ट्री क्रम में) माना जाता है।

पारणा (व्रत खोलने का समय):

  • पराण (व्रत-उदघाटन):

    • अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद: शाम 9:34 बजे (16 अगस्त के बाद)

    • कुछ परंपराओं में सुबह विशुद्ध पूजन या मध्यान्न पूजा के बाद पारणा किया जाता है।

विषयविवरण
अष्टमी तिथि15 अगस्त (रात 11:49) – 16 अगस्त (रात 9:34)
मुख्य जन्माष्टमी16 अगस्त 2025 (शनिवार)
निशिता पूजा16 अगस्त को लगभग 12:04 AM – 12:47 AM
व्रत समाप्ति16 अगस्त शाम 9:34 बजे (या उसके बाद)

जन्माष्टमी 2025 का मुख्य पर्व शनिवार, 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इसका शुभ समय (निशिता मुहूर्त) 16 अगस्त की मध्यरात्रि 12:04 बजे से 12:47 बजे तक है।

1. तैयारी (एक दिन पहले से)

  • सफाई: घर, मंदिर, और विशेषकर पूजा स्थान को अच्छी तरह साफ करें।

  • कृष्ण झूला सजाना: भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या बाल रूप की प्रतिमा के लिए सुंदर झूला सजाएँ — फूल, कपड़े, मोरपंख और झिलमिल लाइट से।

  • भोग सामग्री: मक्खन, मिश्री, पंजीरी, माखन-मिश्री, दूध, पेडे, पंचामृत आदि तैयार रखें।

  • व्रत संकल्प: मन में संकल्प लें कि आप अष्टमी तिथि तक व्रत रखेंगे, क्रोध, झूठ, और नकारात्मक विचार से दूर रहेंगे।


2. व्रत विधि

  • जन्माष्टमी के दिन निराहार या फलाहार व्रत रखा जाता है।

  • दिनभर केवल फल, दूध, सूखे मेवे और पानी का सेवन करें।

  • अनाज, नमक (कुछ लोग सेंधा नमक लेते हैं), और तामसिक भोजन से बचें।


3. पूजा का समय

  • मुख्य पूजा निशिता मुहूर्त (मध्यरात्रि) में होती है, क्योंकि इसी समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।

  • 2025 में — निशिता पूजा समय: 16 अगस्त, 12:04 AM से 12:47 AM

  • पूजा से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें, और पूजा स्थान पर बैठें।


4. पूजा की विधि

  1. संकल्प लें: गंगाजल हाथ में लेकर, “मैं भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर यह व्रत और पूजा कर रहा हूँ” कहें।

  2. गणेश वंदना: सबसे पहले गणपति जी की पूजा करें।

  3. कलश स्थापना: पानी से भरा कलश, आम के पत्ते, नारियल और मोली बांधकर रखें।

  4. श्रीकृष्ण पूजन:

    • श्रीकृष्ण की मूर्ति को स्नान कराएँ (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल — पंचामृत स्नान)।

    • नए वस्त्र पहनाएँ, फूल-मालाएँ सजाएँ।

    • तुलसी दल, मक्खन-मिश्री, पंजीरी, फल और मिठाई का भोग लगाएँ।

  5. आरती और भजन:

    • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

    • कृष्ण भजन और कीर्तन करें।

  6. मध्यरात्रि जन्मोत्सव:

    • ठीक 12 बजे कृष्ण जन्म का क्षण मानकर शंख बजाएँ, घंटी बजाएँ, झूला झुलाएँ।

    • मिठाई और पंचामृत का प्रसाद बांटें।


5. पारणा (व्रत खोलना)

  • अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बाद व्रत खोला जाता है।

  • 2025 में — 16 अगस्त रात 9:34 बजे के बाद (कुछ लोग अगले दिन सुबह खोलते हैं)।

  • व्रत खोलते समय प्रसाद ग्रहण करें और ब्राह्मणों को दान दें।


6. विशेष कार्य

  • दही-हांडी उत्सव: महाराष्ट्र और गुजरात में अगले दिन (17 अगस्त 2025) दही-हांडी का आयोजन होगा।

  • दान-पुण्य: गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, फल और मिठाई बांटें।

  • भजन संध्या: रातभर मंदिर में भजन-कीर्तन का आयोजन।


7. क्या न करें

  • मांस, मछली, अंडा, शराब, प्याज-लहसुन से परहेज करें।

  • गुस्सा, चुगली और अपशब्दों से बचें।

  • व्यर्थ समय मोबाइल, टीवी या मनोरंजन में न बिताएँ — भक्ति में मन लगाएँ।

  • 🪔 जन्माष्टमी 2025 – घर पर पूजा करने की पूरी चेकलिस्ट 🪔

  • 1. सुबह की तैयारी (सुबह 6:00 AM – 8:00 AM)

    सामग्री:

    • गंगाजल

    • झाड़ू-पोंछा, साफ कपड़ा

    • फूल, बंदनवार, रंगोली के रंग

    • अगरबत्ती, दीपक

    कार्य:

    1. घर और मंदिर/पूजा स्थल की पूरी सफाई करें।

    2. पूजा स्थान पर रंगोली बनाएं और तोरण/बंदनवार लगाएं।

    3. श्रीकृष्ण के लिए छोटा झूला सजाएं — फूल, मोरपंख और रंगीन कपड़े से।


    2. दिन का व्रत संकल्प (सुबह 8:00 AM – 9:00 AM)

    सामग्री:

    • गंगाजल वाला ताम्बे का लोटा

    • तुलसी पत्र

    • पीला वस्त्र

    कार्य:

    1. स्नान कर पीले/सफेद वस्त्र पहनें।

    2. गंगाजल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लें — “मैं भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर फलाहार व्रत करूँगा/करूँगी।”

    3. दिनभर फल, दूध, सूखे मेवे और पानी लें।


    3. दोपहर की तैयारी (दोपहर 12:00 PM – 2:00 PM)

    सामग्री:

    • दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल (पंचामृत स्नान के लिए)

    • नए वस्त्र, फूलमाला

    • तुलसी दल

    • माखन-मिश्री, पंजीरी, मिठाई

    कार्य:

    1. श्रीकृष्ण की प्रतिमा/बाल गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएँ।

    2. नए वस्त्र और आभूषण पहनाएँ।

    3. फूल-माला और मोरपंख से सजाएँ।

    4. भोग सामग्री तैयार रखें।


    4. शाम का भजन-कीर्तन (शाम 6:00 PM – 8:00 PM)

    सामग्री:

    • भजन की ऑडियो/संगीत

    • मंजीरा, ढोलक, घंटी

    • दीपक, अगरबत्ती

    कार्य:

    1. पूरे परिवार के साथ भजन-कीर्तन करें।

    2. श्रीकृष्ण की लीलाओं का पाठ करें।

    3. आस-पड़ोस के लोगों को शामिल करें।


    5. निशिता काल पूजा (रात 12:04 AM – 12:47 AM)

    सामग्री:

    • कलश, नारियल, आम के पत्ते

    • शंख, घंटी

    • पंचामृत, माखन-मिश्री, मिठाई, फल

    • अगरबत्ती, घी का दीपक

    कार्य:

    1. कलश स्थापना करें और नारियल रखें।

    2. मंत्र जाप — “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” 108 बार।

    3. ठीक 12 बजे शंख बजाकर श्रीकृष्ण को झूला झुलाएँ।

    4. भोग लगाकर आरती करें।


    6. व्रत पारणा (16 अगस्त रात 9:34 PM के बाद)

    सामग्री:

    • प्रसाद, फल

    • गरीबों के लिए दान सामग्री (अनाज, कपड़े, मिठाई)

    कार्य:

    1. प्रसाद लेकर व्रत खोलें।

    2. जरूरतमंदों को दान करें।


    7. अगले दिन (17 अगस्त 2025) विशेष

    • दही-हांडी उत्सव (विशेषकर महाराष्ट्र और गुजरात में)

    • मंदिर दर्शन और भजन संध्या

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