Donald Trump का भारत पर नया हमला: रूस से तेल खरीद पर दी भारी टैरिफ की धमकी
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और 2025 के चुनावी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर एक नया आर्थिक दबाव डालने की कोशिश की है। उन्होंने भारत द्वारा रूस से सस्ते तेल की खरीद और पुनः निर्यात को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है और कहा है कि यदि भारत ने यह नीति नहीं बदली, तो अमेरिका भारत के ऊपर 25% से अधिक का टैरिफ लगा सकता है। ट्रंप का यह बयान उस समय आया जब अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का पालन करवा रहे हैं। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे रिफाइन करके यूरोप और अन्य देशों को महंगे दाम पर बेचने का मुनाफा कमाया है, जो अमेरिका की रणनीति के खिलाफ जाता है।
इस बयान से भारत-अमेरिका संबंधों में नया तनाव उत्पन्न हो गया है। अमेरिका लंबे समय से चाहता है कि भारत रूस से अपने व्यापारिक संबंधों को सीमित करे, लेकिन भारत सरकार का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है – कि भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए, वह किसी एक पक्ष के दबाव में नहीं आएगा। डोनाल्ड ट्रंप की यह नीति न केवल व्यापारिक रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि यह रणनीतिक सहयोग को भी प्रभावित कर सकती है। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, टेक्नोलॉजी और ऊर्जा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं।
🛢️ भारत की रूस से तेल खरीद: क्या है असली वजह?
भारत ने रूस से 2022 के बाद से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदना शुरू किया था, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें अस्थिर हो गई थीं। भारत ने तब रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदने का फैसला लिया, जिससे देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को नियंत्रण में रखा जा सके। ट्रंप का कहना है कि यह निर्णय अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर करता है, जबकि भारत का कहना है कि उसका निर्णय पूरी तरह राष्ट्रीय हितों पर आधारित है।
भारत सरकार का यह भी कहना है कि अमेरिका और यूरोपीय देश खुद भी रूस से कई वस्तुएं खरीदते हैं, ऐसे में केवल भारत को निशाना बनाना भेदभावपूर्ण और राजनीति से प्रेरित है। भारत की ऊर्जा निर्भरता को देखते हुए, सरकार किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं कर सकती। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत की कुल कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 35-40% अब रूस से आता है, जो कि 2021 में सिर्फ 2% था। यह भारत के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक सौदा रहा है, क्योंकि इससे घरेलू महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिली है।
🌐 अमेरिका-भारत व्यापार पर असर और संभावित नुकसान
अगर ट्रंप अपनी धमकियों को हकीकत में बदलते हैं और भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाते हैं, तो इसका सीधा असर भारत के टेक्सटाइल, फार्मा, आईटी सर्विसेज और ऑटो पार्ट्स के निर्यात पर पड़ेगा। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और यहां पर भारत की लाखों नौकरियां इस व्यापार पर निर्भर हैं। 2024-25 में भारत ने अमेरिका को लगभग $130 बिलियन का सामान एक्सपोर्ट किया है, जिसमें टेक्नोलॉजी, दवाइयाँ, स्टील, और ऑटो सेक्टर शामिल हैं।
इन टैरिफ के कारण भारत के उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी और भारतीय कंपनियों की कमाई पर सीधा असर पड़ेगा। इसके अलावा, ट्रंप की आक्रामक नीति का असर निवेशकों के मनोबल पर भी पड़ सकता है, क्योंकि व्यापार में अनिश्चितता निवेश के माहौल को प्रभावित करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये टैरिफ लागू होते हैं, तो दोनों देशों के बीच चल रही Indo-Pacific रणनीतिक साझेदारी को भी झटका लग सकता है।
🏛️ भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया और मोदी सरकार का रुख
ट्रंप के बयानों पर भारत की विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा है कि किसी भी संप्रभु देश को अपने ऊर्जा स्रोत चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने इसे “असंगत और अनुचित दबाव” करार दिया और अमेरिका को याद दिलाया कि व्यापारिक रिश्ते बराबरी और सम्मान पर आधारित होने चाहिए, न कि धमकी और टैरिफ के डर पर। मोदी सरकार की नीति हमेशा से ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर आधारित रही है, जिसमें हर देश के साथ आपसी सहयोग और विकास को प्राथमिकता दी जाती है।
भारत के कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि यह बयान ट्रंप के चुनावी एजेंडे का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वह चीन और भारत जैसे उभरते देशों को निशाना बनाकर अमेरिकी वर्किंग क्लास को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। भारत सरकार ने यह भी कहा है कि वह अमेरिकी उद्योगों और सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार है, लेकिन किसी भी एकतरफा निर्णय को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि ट्रंप के इस बयान से अमेरिका के अंदर क्या राजनीतिक प्रतिक्रिया मिलती है।
📈 भविष्य की रणनीति: क्या भारत को विकल्पों की तलाश करनी चाहिए?
डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भारत के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि उसे अपने व्यापारिक और कूटनीतिक विकल्पों को और अधिक व्यापक बनाना चाहिए। भारत पहले से ही यूरोप, खाड़ी देशों और अफ्रीका के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने में जुटा है। साथ ही, घरेलू ऊर्जा स्रोतों जैसे सोलर, विंड और बायोगैस पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि कच्चे तेल पर निर्भरता को कम किया जा सके। इस घटनाक्रम के बाद भारत शायद अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करे और मल्टीपोलर वैश्विक नीति को अपनाए।
भारत के सामने यह भी एक अवसर है कि वह अपने घरेलू विनिर्माण को बढ़ाकर आयात पर निर्भरता घटाए और ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाए। साथ ही, चीन जैसे देशों की तुलना में एक स्थिर लोकतंत्र के रूप में भारत वैश्विक निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। यदि भारत इस स्थिति को संतुलन से संभालता है, तो न केवल वह अमेरिकी टैरिफ से बच सकता है बल्कि अपने वैश्विक कूटनीतिक कद को भी बढ़ा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप भारत न्यूज़ और ट्रंप मोदी संबंध
डोनाल्ड ट्रंप, जो 2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के प्रमुख उम्मीदवार हैं, ने हाल ही में भारत को लेकर कई तीखे बयान दिए हैं। खासतौर पर भारत द्वारा रूस से तेल खरीद पर ट्रंप ने कड़ी आपत्ति जताई है। ट्रंप और नरेंद्र मोदी के पहले मजबूत व्यक्तिगत संबंध रहे हैं — जैसे कि “Howdy Modi” और “Namaste Trump” जैसे सार्वजनिक आयोजनों में दोनों नेताओं की केमिस्ट्री देखने को मिली थी। लेकिन अब चुनावी माहौल में ट्रंप का रुख सख्त नजर आ रहा है। ट्रंप की भारत नीति अब पूरी तरह “अमेरिका फर्स्ट” रणनीति पर केंद्रित दिख रही है, जिसमें वे भारत जैसे देशों पर टैरिफ और दबाव डालकर घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहते हैं।
रूस से तेल खरीद विवाद और भारत रूस तेल डील
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने रूस से रियायती कच्चा तेल खरीदना शुरू किया, जिससे भारत को सस्ता पेट्रोल-डीजल मिल पाया। यही भारत रूस तेल डील अब अमेरिका की नजर में समस्या बन चुकी है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत इस तरह से रूस की आर्थिक मदद कर रहा है और वैश्विक प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहा है। जबकि भारत का कहना है कि उसकी प्राथमिकता देश की ऊर्जा सुरक्षा है। भारत ने रूस से तेल खरीदकर उसे रिफाइन कर यूरोप और एशिया को एक्सपोर्ट भी किया, जिससे अमेरिका को यह और अधिक आपत्तिजनक लगा। यही विवाद अब ट्रंप की भारत नीति में बदलाव का मुख्य कारण बन रहा है।
ट्रंप टैरिफ धमकी और अमेरिका भारत व्यापार संबंध
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% से अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिससे भारत का अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। भारत अमेरिका को दवाइयाँ, कपड़े, आईटी सेवाएं और ऑटो पार्ट्स जैसे उत्पाद भेजता है, जिनका कुल मूल्य सालाना लगभग 130 बिलियन डॉलर है। टैरिफ लागू होने पर भारत के उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और प्रतिस्पर्धा में पीछे रह सकते हैं। इससे न केवल व्यापार को नुकसान होगा, बल्कि Indo-US trade tension भी चरम पर पहुंच सकता है। यह आर्थिक दबाव ट्रंप की 2025 की चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
2025 ट्रंप चुनाव नीति भारत और Trump Russia oil India
डोनाल्ड ट्रंप की 2025 की चुनावी रणनीति में भारत का विशेष स्थान है — वे दिखाना चाहते हैं कि अगर वे सत्ता में लौटे, तो भारत जैसे देशों को अमेरिका के आर्थिक हितों के खिलाफ नीतियों पर भारी कीमत चुकानी होगी। “Trump Russia oil India” जैसी वैश्विक बहस अब अमेरिका के चुनावी मंच पर चर्चा का विषय बन गई है। ट्रंप अपने वोटर्स को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे भारत पर सख्त टैरिफ और शर्तें लागू कर घरेलू व्यापार की रक्षा करेंगे। ऐसे में भारत को भी नई व्यापारिक रणनीति, विविध बाजारों की तलाश और ऊर्जा नीति पर गंभीर पुनर्विचार करना होगा।