सिबू सोरेन को अंतिम विदाई: झारखंड के महान जननायक को देश ने नम आँखों से किया विदा

prashantyadav556667766@gmail.com

धरती आबा को अंतिम प्रणाम: सिबू सोरेन की विदाई पर झारखंड रो पड़ा

सिबू सोरेन — एक ऐसा नाम, जिसने आदिवासियों की आवाज़ को संसद तक पहुँचाया, जिनके संघर्ष से झारखंड बना। वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के लिए क्रांति के प्रतीक थे। 2025 में उनके निधन की खबर से झारखंड ही नहीं, पूरा देश ग़मगीन हो गया। इस लेख में हम सिबू सोरेन के जीवन, संघर्ष, और उनके अंतिम विदाई समारोह के हर पहलू को भावुक शब्दों में सामने रखेंगे।


सिबू सोरेन का जीवन परिचय – संघर्षों से सफलता तक

सिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के दुमका जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। वे संथाल आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते थे। बचपन में ही पिता की हत्या कर दी गई थी, जिसने उनके अंदर अन्याय के खिलाफ लड़ने की आग भर दी। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की, और पूरे जीवन आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे।


 2. राजनीतिक सफर और ऐतिहासिक उपलब्धियाँ

  • झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक

  • कई बार सांसद और विधायक चुने गए

  • भारत सरकार में कोयला मंत्री भी रहे

  • झारखंड राज्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाई
    उनकी राजनीतिक शैली जनसंघर्ष पर आधारित थी। उन्होंने आदिवासी समाज को आत्मगौरव और राजनीतिक पहचान दिलाई।


 3. अंतिम विदाई: जब झारखंड थम गया

2025 में जब उनके निधन की खबर आई, झारखंड भर में शोक की लहर दौड़ गई।

  • रांची, दुमका, बोकारो, जमशेदपुर – हर शहर में श्रद्धांजलि सभाएँ हुईं

  • प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, और तमाम बड़े नेताओं ने शोक व्यक्त किया

  • पार्थिव शरीर को रांची से उनके गाँव ले जाया गया, जहाँ हज़ारों की भीड़ ने ‘धरती आबा’ को अंतिम प्रणाम किया

  • पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया


 4. सिबू सोरेन की सोच और आदर्श

वे कहते थे – “धरती हमारी माँ है, कोई इसे छीन नहीं सकता।”
उनकी विचारधारा में आदिवासी अधिकार, जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा, और संस्कृति की रक्षा सर्वोपरि थी।
उन्होंने सदियों से उपेक्षित आदिवासी समाज को यह यकीन दिलाया कि वे भी भारत के भाग्यविधाता हैं।


 5. विरासत जो अमर है

सिबू सोरेन भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका सपना, उनकी लड़ाई, और उनका नाम हमेशा जिंदा रहेगा।

  • उनके बेटे हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं

  • JMM पार्टी आज भी उनके विचारों की torch bearer है

  • झारखंड का हर बच्चा उन्हें “धरती आबा” कहकर याद करता रहेगा


 अंतिम विदाई की कुछ मार्मिक झलकियाँ

  1. सिबू सोरेन की पार्थिव देह के दर्शन करते आम लोग

  2. अंतिम यात्रा में शामिल हजारों अनुयायी

  3. राष्ट्रीय ध्वज में लिपटी देह

  4. रांची में श्रद्धांजलि सभा

  5. हेमंत सोरेन द्वारा दी गई मुखाग्नि

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *