दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों मौसम का मिजाज पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है और पूरे इलाके में भीषण गर्मी के साथ हीटवेव ने लोगों की ज़िंदगी को खासा प्रभावित कर दिया है। मई के आखिरी हफ्ते और जून की शुरुआत से ही तापमान ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और राजधानी दिल्ली में पारा 47 से 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जो आमतौर पर राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे इलाकों में देखा जाता है। NCR यानी नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद समेत आसपास के क्षेत्रों में भी गर्मी का प्रकोप कम नहीं है और यहां भी लू चल रही है जिससे लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले कुछ दिनों तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे और हीटवेव की स्थिति और ज्यादा गंभीर हो सकती है। स्कूलों की छुट्टियां पहले ही घोषित कर दी गई हैं, लेकिन इसके बावजूद जिन लोगों को काम से बाहर जाना पड़ता है, उन्हें बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। डॉक्टरों की मानें तो इस भीषण गर्मी में डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक और लू लगने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, इसलिए पानी अधिक मात्रा में पीने, हल्के और सूती कपड़े पहनने और दोपहर 12 से 4 बजे के बीच घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जा रही है। राजधानी के अस्पतालों में भी लू से प्रभावित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिनमें बच्चों और बुजुर्गों की तादाद ज्यादा है। वहीं दूसरी तरफ एयर कंडीशनर और कूलर की डिमांड आसमान छू रही है, लेकिन गर्मी इतनी तेज है कि ये भी कई बार बेअसर साबित हो रहे हैं। दिल्ली की सड़कें दोपहर के वक्त लगभग सुनसान नजर आती हैं क्योंकि गर्म हवाओं की वजह से लोग बेहद जरूरी होने पर ही बाहर निकल रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग मज़ाकिया अंदाज़ में मौसम को लेकर मीम्स भी शेयर कर रहे हैं, लेकिन असल में स्थिति काफी चिंताजनक है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से हर साल गर्मियों की तपिश और हीटवेव की तीव्रता बढ़ती जा रही है, और अगर समय रहते पर्यावरण संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो भविष्य में और भी भयावह हालात देखने को मिल सकते हैं। इस बीच दिल्ली सरकार और विभिन्न नगर निगमों ने भी पानी की सप्लाई, सड़क पर पानी का छिड़काव और फव्वारे लगाने जैसे छोटे-छोटे प्रयास शुरू किए हैं ताकि तापमान को थोड़ा कम किया जा सके, लेकिन ये प्रयास भी इस भीषण गर्मी के सामने नाकाफी साबित हो रहे हैं। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि हीटवेव के दौरान शरीर को ठंडा रखने के लिए नारियल पानी, नींबू पानी, आम पना, छाछ जैसी चीज़ों का सेवन करें और जितना हो सके धूप से बचें। दिल्ली-एनसीआर की यह स्थिति यह भी बताती है कि हमें शहरी विकास के साथ-साथ हरियाली और पर्यावरण की रक्षा पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि जितना ज्यादा कंक्रीट का जंगल बढ़ेगा, उतनी ही ज्यादा गर्मी महसूस होगी। कई इलाकों में बिजली कटौती भी शुरू हो गई है, जिससे लोग और ज्यादा परेशान हैं क्योंकि बिना बिजली के ना कूलर चल रहे हैं ना पंखे और ना ही पानी की मोटरें, ऐसे में जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। इस भयंकर गर्मी ने दिल्ली वालों को ना केवल शारीरिक रूप से थका दिया है बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ा दिया है क्योंकि इतनी गर्मी में नींद नहीं आती, भूख कम लगती है और गुस्सा जल्दी आता है। गर्मी के कारण पेयजल की मांग बहुत बढ़ गई है और कई मोहल्लों में टैंकरों के सहारे ही पानी की सप्लाई हो रही है। अगर आने वाले हफ्तों में मानसून या बारिश की कोई राहत नहीं मिली, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं। मौसम विभाग का कहना है कि फिलहाल कोई बड़ी बारिश की संभावना नहीं है, इसलिए लोगों को खुद ही अपने स्तर पर सतर्क रहना पड़ेगा और हीटवेव से बचने के लिए जरूरी उपाय अपनाने होंगे। इस समय दिल्ली-एनसीआर में मौसम सिर्फ खबर नहीं बल्कि एक संकट बन गया है, जिससे सभी लोग प्रभावित हैं, इसलिए ज़रूरी है कि हम पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझें और जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लें, वरना आने वाले सालों में गर्मी और ज्यादा डरावनी हो सकती है।

दिल्ली-एनसीआर में जारी इस प्रचंड गर्मी और हीटवेव ने जैसे जनजीवन को थाम सा दिया है, और लोग मजबूरी में दिनभर घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं। खासतौर पर गरीब तबके के लोग, जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं या सड़क पर काम करते हैं, उनके लिए यह गर्मी किसी आपदा से कम नहीं है क्योंकि न तो उनके पास कूलर है, न एसी और न ही पर्याप्त पानी। कई जगहों पर तो तापमान इतना ज्यादा बढ़ गया है कि सड़कें पिघलने लगी हैं और कारों के बोनट पर खाना तक पकने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। दिल्ली के प्रमुख इलाकों जैसे मयूर विहार, लक्ष्मी नगर, पालम, द्वारका, रोहिणी और जनकपुरी में लू की स्थिति और भी ज्यादा गंभीर बनी हुई है और हवा में नमी की कमी के चलते उमस भी बहुत ज्यादा महसूस की जा रही है। NCR के शहरों जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी गर्मी का स्तर वैसा ही है, और IT सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को या तो वर्क फ्रॉम होम दिया गया है या लचीला समय दिया जा रहा है ताकि वे दोपहर में बाहर न निकलें। गर्मी के इस दौर में पशु-पक्षियों की हालत भी बहुत खराब है, जगह-जगह पक्षी प्यास से गिर रहे हैं और लोग अपने घरों के बाहर पानी के बर्तन रखने की अपील कर रहे हैं। सरकार ने कुछ जगहों पर फ्री वाटर स्टेशन और कूलिंग सेंटर बनाने की योजना बनाई है, लेकिन फिलहाल इनका असर बहुत सीमित है। पर्यावरणविदों का कहना है कि दिल्ली जैसी घनी आबादी वाले शहरों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और कंक्रीट का बढ़ता जंगल ही इस हालत के लिए जिम्मेदार है, और जब तक हर गली, हर मोहल्ले में पर्याप्त पेड़ नहीं लगाए जाते, तब तक हीटवेव हर साल और खतरनाक होती जाएगी। मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में भी अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है और डॉक्टर लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि सिरदर्द, चक्कर आना, तेज बुखार और उल्टी जैसी समस्याओं को हल्के में न लें क्योंकि ये हीट स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही ऐसे मौसम में बुजुर्गों और छोटे बच्चों का खास ध्यान रखने की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यदि लगातार गर्मी ऐसे ही बढ़ती रही तो भविष्य में दिल्ली में रहना भी एक चुनौती बन जाएगा। इस समय दिल्ली और NCR के नागरिकों को मिलकर न सिर्फ खुद को सुरक्षित रखना है बल्कि अपने आसपास के लोगों, जानवरों और पर्यावरण का भी ख्याल रखना है, क्योंकि यह समस्या अब किसी एक शहर या व्यक्ति की नहीं रही, यह पूरे मानव समाज के लिए एक चेतावनी है कि अब भी अगर हमने जलवायु को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में यह धरती रहने लायक नहीं बचेगी। इसलिए गर्मी से बचने के लिए सावधान रहना तो जरूरी है ही, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है हरियाली को बचाना, पानी को बचाना और प्रदूषण को कम करना। तभी हम आने वाले समय को थोड़ा ठंडा और राहत भरा बना पाएंगे।

1. हीटवेव क्या होती है?

हीटवेव का मतलब है अत्यधिक गर्म मौसम, जब तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा बढ़ जाता है और लगातार कई दिनों तक 45°C या उससे अधिक रहता है। दिल्ली में कुछ जगहों पर पारा 49°C के पार जा चुका है, जो एक चेतावनी की तरह है। अगर न्यूनतम तापमान भी 30 डिग्री से ऊपर हो जाए, तो रातों में भी राहत नहीं मिलती, जिससे शरीर को रिकवर करने का समय नहीं मिल पाता।

2. क्या कहता है मौसम विभाग (IMD)?

भारतीय मौसम विभाग ने *रेड अलर्ट* जारी किया है, जो सबसे गंभीर चेतावनी होती है। IMD का कहना है कि अगले 3 से 5 दिन तक तापमान में गिरावट की संभावना नहीं है और हीटवेव की स्थिति बनी रहेगी। इसके अलावा 12 से 4 बजे के बीच बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है क्योंकि यही समय सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।

3. दिल्ली की स्थिति इतनी गंभीर क्यों?

दिल्ली में हर साल गर्मी बढ़ रही है क्योंकि यहां की आबादी तेजी से बढ़ रही है, पेड़ कम हो रहे हैं, बिल्डिंग्स और सड़कें हीट को सोख लेती हैं और रात में भी वो गर्मी छोड़ती हैं, जिससे तापमान गिर नहीं पाता। इस प्रक्रिया को *“Urban Heat Island Effect”* कहा जाता है, और दिल्ली इसका जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है।

4. सरकार क्या कर रही है?

सरकार ने स्कूलों की छुट्टियां बढ़ा दी हैं, कई जगहों पर पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं, और कुछ हॉस्पिटल्स में हीट स्ट्रोक वार्ड बनाए जा रहे हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि ये प्रयास सीमित हैं और इस गर्मी को रोकने के लिए कोई तत्काल समाधान नहीं है।

5. कौन लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं?

दिहाड़ी मजदूर, ट्रैफिक पुलिस, ऑटो-रिक्शा चालक, रिक्शेवाले, सफाई कर्मचारी और बच्चे-बुजुर्ग – ये सभी सबसे ज्यादा जोखिम में हैं। क्योंकि इन्हें मजबूरी में धूप में काम करना पड़ता है। कुछ इलाकों में तो श्रमिकों को दोपहर के समय काम बंद करने को भी कहा गया है।

6. क्या हैं इसके स्वास्थ्य पर असर?

हीटवेव से *हीट स्ट्रोक, **डिहाइड्रेशन, **ब्लड प्रेशर की समस्या, **त्वचा पर जलन, **चक्कर आना*, और यहां तक कि मौत तक हो सकती है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ लोगों की जान जा चुकी है और कई अस्पतालों में रोज़ाना हीटवेव से पीड़ित लोग भर्ती हो रहे हैं।

7. क्या हमें डरना चाहिए या सतर्क रहना चाहिए?

डरने की जरूरत नहीं है लेकिन पूरी तरह से *सतर्क रहने की जरूरत है*। सिर पर टोपी पहनना, गीले कपड़े से शरीर को ढकना, पानी और तरल पदार्थ लगातार पीना, और कोशिश करें कि घर के अंदर ही रहें। बुजुर्गों को विशेष सावधानी की जरूरत है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

8. क्या बारिश से राहत मिलेगी?

फिलहाल दिल्ली-एनसीआर में मानसून के आने में अभी कुछ दिन बाकी हैं। मौसम विभाग के अनुसार *20-25 जून के आसपास* पहली बारिश की संभावना है, लेकिन तब तक राहत की कोई उम्मीद नहीं है। प्री-मॉनसून बारिश भी इस बार बहुत कमजोर रही है।

9. आने वाले वर्षों में क्या हो सकता है?

अगर अभी से उपाय नहीं किए गए तो अगले 5 से 10 वर्षों में दिल्ली और NCR जैसे इलाकों में तापमान 50°C के पार जाना आम हो जाएगा। यह जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग का नतीजा है, जिसे रोकने के लिए *जनता, सरकार और उद्योगों* को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।

10. लोग क्या कर सकते हैं?

* अपने घरों में एक छोटा पेड़ जरूर लगाएं
* छतों पर वाटर स्प्रे या ग्रीन टॉप करें
* पक्षियों और जानवरों के लिए पानी रखें
* कूलर और AC की बजाय प्राकृतिक तरीके अपनाएं
* थर्मल इन्सुलेशन या सफेद छतों का इस्तेमाल करें
* अपने मोहल्ले में पेड़ लगाने की मुहिम चलाएं

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